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"सीने में कोई कर्ब सा बो जाता है / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

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सीने में कोई कर्ब सा बो जाता है
आता है तो पलकों को भिगो जाता है
गर साथ भी रहता है, तो सपना बन कर
खुलते ही मगर आंख वो खो जाता है।