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हे राम ! / रामकुमार कृषक

215 bytes added, 15:07, 23 सितम्बर 2020
{{KKRachna
|रचनाकार=रामकुमार कृषक
|संग्रह=लौट आएँगी आंखें / रामकुमार कृषक
}}
{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyRam}}<poem>
तुम्हारे नाम की हो रही है लूट
 ::हे राम ! 
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ
 ::हे राम ! तुम्हारे नाम से भर रहे हैं कुछ पेट  ::हे राम ! 
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ
 ::हे राम ! तुम्हारे नाम पर सजे हुए हैं बाज़ार  ::हे राम !तुम्हारे नाम पर जम गया है ब्योपार हे राम ! तुम्हारे नाम पर डाकू भी संत हुए सन्त ::हे राम ! तुम्हारे नाम की महिमा अनंत है अनन्त  ::हे राम !</poem>
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