{{KKRachna
|रचनाकार=रामकुमार कृषक
|संग्रह=लौट आएँगी आंखें / रामकुमार कृषक
}}
{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyRam}}<poem>
तुम्हारे नाम की हो रही है लूट
::हे राम !
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ
::हे राम ! तुम्हारे नाम से भर रहे हैं कुछ पेट ::हे राम !
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ
::हे राम ! तुम्हारे नाम पर सजे हुए हैं बाज़ार ::हे राम !तुम्हारे नाम पर जम गया है ब्योपार हे राम ! तुम्हारे नाम पर डाकू भी संत हुए सन्त ::हे राम ! तुम्हारे नाम की महिमा अनंत है अनन्त ::हे राम !</poem>