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मैं जीवन हूँ / निदा फ़ाज़ली

206 bytes added, 13:33, 11 अक्टूबर 2020
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|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
|अनुवादक=
|संग्रह=खोया हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
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<poem>
वो जो
 
फटे-पुराने जूते गाँठ रहा है
 
वो भी मैं हूँ |
 
वो जो घर-घर
 
धूप की चाँदी बाँट रहा है
 
वो भी मैं हूँ |
 
वो जो
 
उड़ते परों से अम्बर पात रहा है
 
वो भी मैं हूँ |
 वो जो  
हरी-भरी आँखों को काट रहा है
 
वो भी मैं हूँ |
 
सूरज-चाँद
 
निगाहें मेरी
 
साल-महीने राहें मेरी |
 
कल भी मुझमे
 
आज भी मुझमे
 
चारों ओर दिशाएँ मेरी |
 
 
अपने-अपने
 
आकारों में
 
जो भी चाहे भर ले मुझको |
 
जिनमे जितना समा सकूँ मैं
 
उतना
 
अपना कर ले मुझको |
 
हर चेहरा है मेरा चेहरा
 
बेचेहरा इक दर्पण हूँ मैं
 
मुट्ठी हूँ मैं
 
जीवन हूँ मैं |
</poem>
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