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"ये ज़िंदगी / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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ये ज़िन्दगी | ये ज़िन्दगी | ||
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आज जो तुम्हारे | आज जो तुम्हारे | ||
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बदन कि छोटी-बड़ी नसों में | बदन कि छोटी-बड़ी नसों में | ||
− | |||
मचल रही है | मचल रही है | ||
− | |||
तुम्हारे पैरों से | तुम्हारे पैरों से | ||
− | |||
चल रही है | चल रही है | ||
− | |||
तुम्हारी आवाज़ में गले से | तुम्हारी आवाज़ में गले से | ||
− | |||
निकल रही है | निकल रही है | ||
− | |||
तुम्हारे लफ़्ज़ों में | तुम्हारे लफ़्ज़ों में | ||
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ढल रही है | | ढल रही है | | ||
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ये ज़िन्दगी.....! | ये ज़िन्दगी.....! | ||
− | |||
जाने कितनी सदियों से | जाने कितनी सदियों से | ||
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यूँ ही शक्लें | यूँ ही शक्लें | ||
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बदल रही है | | बदल रही है | | ||
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बदलती शक्लों | बदलती शक्लों | ||
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बदलते ज़िस्मों में | बदलते ज़िस्मों में | ||
− | |||
चलता फिरता ये इक शरारा | चलता फिरता ये इक शरारा | ||
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जो इस घडी | जो इस घडी | ||
− | |||
नाम है तुम्हारा ! | नाम है तुम्हारा ! | ||
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इसी से साड़ी चहल-पहल है | | इसी से साड़ी चहल-पहल है | | ||
− | |||
इसी से | इसी से | ||
− | |||
रौशन है हर नज़ारा | रौशन है हर नज़ारा | ||
− | |||
सितारे तोड़ो | सितारे तोड़ो | ||
− | |||
या घर बसाओ | या घर बसाओ | ||
− | |||
अलम* उठाओ | अलम* उठाओ | ||
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या सर झुकाव | या सर झुकाव | ||
− | |||
तुम्हारी आँखों कि रौशनी तक | तुम्हारी आँखों कि रौशनी तक | ||
− | |||
है खेल सारा | है खेल सारा | ||
− | |||
ये खेल होगा नहीं दोबारा | | ये खेल होगा नहीं दोबारा | | ||
− | + | '''जंग का निशान''' | |
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19:10, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
ये ज़िन्दगी
आज जो तुम्हारे
बदन कि छोटी-बड़ी नसों में
मचल रही है
तुम्हारे पैरों से
चल रही है
तुम्हारी आवाज़ में गले से
निकल रही है
तुम्हारे लफ़्ज़ों में
ढल रही है |
ये ज़िन्दगी.....!
जाने कितनी सदियों से
यूँ ही शक्लें
बदल रही है |
बदलती शक्लों
बदलते ज़िस्मों में
चलता फिरता ये इक शरारा
जो इस घडी
नाम है तुम्हारा !
इसी से साड़ी चहल-पहल है |
इसी से
रौशन है हर नज़ारा
सितारे तोड़ो
या घर बसाओ
अलम* उठाओ
या सर झुकाव
तुम्हारी आँखों कि रौशनी तक
है खेल सारा
ये खेल होगा नहीं दोबारा |
जंग का निशान