भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तिब्बत / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदयप्रकाश }} तिब्बत से आये हुए<br> लामा घूमते रहते हैं<br> आ...)
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=उदयप्रकाश
 
|रचनाकार=उदयप्रकाश
 +
|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
 
}}
 
}}
 +
{{KKPrasiddhRachna}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
तिब्बत से आये हुए
 +
लामा घूमते रहते हैं
 +
आजकल मंत्र बुदबुदाते 
  
तिब्बत से आये हुए<br>
+
उनके खच्चरों के झुंड
लामा घूमते रहते हैं<br>
+
बगीचों में उतरते हैं  
आजकल मंत्र बुदबुदाते<br><br>
+
गेंदे के पौधों को नहीं चरते 
  
उनके खच्चरों के झुंड<br>
+
गेंदे के एक फूल में
बगीचों में उतरते हैं<br>
+
कितने फूल होते हैं  
गेंदे के पौधों को नहीं चरते<br><br>
+
पापा? 
  
गेंदे के एक फूल में<br>
+
तिब्बत में बरसात
कितने फूल होते हैं<br>
+
जब होती है
पापा ?<br><br>
+
तब हम किस मौसम में  
 +
होते हैं?
  
तिब्बत में बरसात<br>
+
तिब्बत में जब  
जब होती है<br>
+
तीन बजते हैं
तब हम किस मौसम में<br>
+
तब हम किस समय में  
होते हैं ?<br><br>
+
होते हैं?
  
तिब्बत में जब तीन बजते हैं<br>
+
तिब्बत में  
तब हम किस समय में<br>
+
गेंदे के फूल होते हैं  
होते हैं ?<br><br>
+
क्या पापा?
  
तिब्बत में<br>
+
लामा शंख बजाते है पापा?
गेंदे के फूल होते हैं<br>
+
क्या पापा ?<br><br>
+
  
लामा शंख बजाते है पापा?<br><br>
+
पापा लामाओं को
 +
कंबल ओढ़ कर
 +
अंधेरे में
 +
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है
 +
कभी?
  
पापा लामाओं को<br>
+
जब लोग मर जाते हैं
कंबल ओढ़ कर<br>
+
तब उनकी कब्रों के चारों ओर
अंधेरे में<br>
+
सिर झुका कर  
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है<br>
+
खड़े हो जाते हैं लामा 
कभी ?<br><br>
+
  
जब लोग मर जाते हैं<br>
+
वे मंत्र नहीं पढ़ते। 
तब उनकी कब्रों के चारों ओर<br>
+
सिर झुका कर<br>
+
खड़े हो जाते हैं लामा<br><br>
+
  
वे मंत्र नहीं पढ़ते।<br><br>
+
वे फुसफुसाते हैं ….तिब्बत
 +
..तिब्बत …
 +
तिब्बत - तिब्बत
 +
….तिब्बत - तिब्बत - तिब्बत
 +
तिब्बत-तिब्बत ..
 +
..तिब्बत …..
 +
….. तिब्बत -तिब्बत
 +
तिब्बत ……. 
  
वे फुसफुसाते हैं ….तिब्बत<br>
+
और रोते रहते हैं  
..तिब्बत …<br>
+
रात-रात भर। 
तिब्बत - तिब्बत<br>
+
….तिब्बत - तिब्बत - तिब्बत<br>
+
तिब्बत-तिब्बत ..<br>
+
..तिब्बत …..<br>
+
….. तिब्बत -तिब्बत<br>
+
तिब्बत …….<br><br>
+
  
और रोते रहते हैं<br>
+
क्या लामा
रात-रात भर।<br><br>
+
हमारी तरह ही
 +
रोते हैं  
 +
पापा?
  
क्या लामा<br>
+
……………………………………………………
हमारी तरह ही<br>
+
'''[[तिब्बत / उदय प्रकाश / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ]]'''
रोते हैं<br>
+
 
पापा ?
+
</poem>

09:53, 4 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

तिब्बत से आये हुए
लामा घूमते रहते हैं
आजकल मंत्र बुदबुदाते

उनके खच्चरों के झुंड
बगीचों में उतरते हैं
गेंदे के पौधों को नहीं चरते

गेंदे के एक फूल में
कितने फूल होते हैं
पापा?

तिब्बत में बरसात
जब होती है
तब हम किस मौसम में
होते हैं?

तिब्बत में जब
तीन बजते हैं
तब हम किस समय में
होते हैं?

तिब्बत में
गेंदे के फूल होते हैं
क्या पापा?

लामा शंख बजाते है पापा?

पापा लामाओं को
कंबल ओढ़ कर
अंधेरे में
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है
कभी?

जब लोग मर जाते हैं
तब उनकी कब्रों के चारों ओर
सिर झुका कर
खड़े हो जाते हैं लामा

वे मंत्र नहीं पढ़ते।

वे फुसफुसाते हैं ….तिब्बत
..तिब्बत …
तिब्बत - तिब्बत
….तिब्बत - तिब्बत - तिब्बत
तिब्बत-तिब्बत ..
..तिब्बत …..
….. तिब्बत -तिब्बत
तिब्बत …….

और रोते रहते हैं
रात-रात भर।

क्या लामा
हमारी तरह ही
रोते हैं
पापा?

……………………………………………………
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ