भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दुआ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=परवीन शाकिर
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
 
चांदनी  
 
चांदनी  
  

14:08, 7 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण

चांदनी

उस दरीचे को छूकर

मेरे नीम रोशन झरोखे में आए, न आए,

मगर

मेरी पलकों की तकदीर से नींद चुनती रहे

और उस आँख के ख़्वाब बुनती रहे।