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"मूक हैं गान ! / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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मन अधीर
 
मन अधीर
दौपदी के चीर-सी
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द्रौपदी  के चीर-सी
 
बढ़ गई है पीर
 
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डूबी है सृष्टि
 
डूबी है सृष्टि

00:07, 25 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

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मन अधीर
द्रौपदी के चीर-सी
बढ़ गई है पीर
डूबी है सृष्टि
मिला न कोई छोर
तुम्हीं जीवन-डोर ।
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मूक हैं गान
अश्रु में डूबा नभ
बिछुड़ गई धरा
प्राण विकल
जीने के लिए नित
मरे कई मरण।





[ तीसरा पहर]