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"यौवन माया / सुरंगमा यादव" के अवतरणों में अंतर
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+ | कामुक अंधे | ||
+ | घूम रहे बेख़ौफ | ||
+ | आज दरिंदे। | ||
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+ | प्रेम फुहार | ||
+ | धरा पर बरसा | ||
+ | नभ का प्यार । | ||
+ | 48 | ||
+ | सूखी नलिनी | ||
+ | प्रिय बिन जीवन | ||
+ | कैसा जीवन ! | ||
+ | 49 | ||
+ | मेघ जौहरी | ||
+ | बाँटे खोल तिजोरी | ||
+ | बूँदों के मोती। | ||
+ | 50 | ||
+ | खिली धूप में | ||
+ | रिमझिम बारिश | ||
+ | सूर्य नहाये। | ||
+ | 51 | ||
+ | मन गागर | ||
+ | पीड़ाओं का सागर | ||
+ | समेटे नारी। | ||
+ | 52 | ||
+ | अपनी ढाँपे | ||
+ | अपनों के मन की | ||
+ | पीड़ाएँ बाँचे । | ||
+ | 53 | ||
+ | वक़्त की मार | ||
+ | सुकोमल पंखुड़ी | ||
+ | बनी कटार। | ||
+ | 54 | ||
+ | राह अंधेरी | ||
+ | दुआओं की चाँदनी | ||
+ | माँ ने बिखेरी। | ||
+ | 55 | ||
यौवन माया | यौवन माया | ||
सुन मृगनयनी | सुन मृगनयनी | ||
धन पराया | धन पराया | ||
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00:30, 19 जनवरी 2021 के समय का अवतरण
45
पराया देश
ढूँढ़े अपनापन
नयी दुल्हन ।
46
कामुक अंधे
घूम रहे बेख़ौफ
आज दरिंदे।
47
प्रेम फुहार
धरा पर बरसा
नभ का प्यार ।
48
सूखी नलिनी
प्रिय बिन जीवन
कैसा जीवन !
49
मेघ जौहरी
बाँटे खोल तिजोरी
बूँदों के मोती।
50
खिली धूप में
रिमझिम बारिश
सूर्य नहाये।
51
मन गागर
पीड़ाओं का सागर
समेटे नारी।
52
अपनी ढाँपे
अपनों के मन की
पीड़ाएँ बाँचे ।
53
वक़्त की मार
सुकोमल पंखुड़ी
बनी कटार।
54
राह अंधेरी
दुआओं की चाँदनी
माँ ने बिखेरी।
55
यौवन माया
सुन मृगनयनी
धन पराया