भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रीत के पाँव / सुरंगमा यादव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
ये विहग वाचाल | ये विहग वाचाल | ||
निशीथ काल। | निशीथ काल। | ||
− | |||
77 | 77 | ||
प्रीत के पाँव | प्रीत के पाँव |
00:45, 19 जनवरी 2021 का अवतरण
67
मेघ कहार
दूर देश से लाया
वर्षा बहार।
68
नित नवीन
प्रकृति की सुषमा
नहीं उपमा।
69
आँचल हरा
ढूँढ़ती वसुंधरा
कहीं खो गया।
70
थक के सोया
दिवस शिशु सम
साँझ होते ही ।
71
मौन हो गये
ये विहग वाचाल
निशीथ काल।
77
प्रीत के पाँव
बिन पायल बाजें
सुनता गाँव