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"जीवन-दान / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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मुक्त बन्दी के प्राण!
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मुक्त बन्दी के प्राण !
पैरें की गति शृंखल बाधित, काया कारा-कलुषाच्छादित
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पर किस विकल प्रेरणा-स्पन्दित उद्धत उस का गान!
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अंग-अंग उस का क्षत-विह्वल हृदय हताशाओं से घायल,
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किन्तु असह्य रणातुर उस की आत्मा का आह्वान!
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पैरें की गति शृंखल बाधित,
उस की भूख-प्यास भी नियमित उस की अन्तिम सम्पत्ति परिहृत
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काया कारा-कलुषाच्छादित
लज्जित पर बलिदान देख कर उस का जीवन-दान!
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पर किस विकल प्रेरणा-स्पन्दित
मुक्त बन्दी के प्राण!
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उद्धत उस का गान !
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मुक्त बन्दी के प्राण !
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अंग-अंग उस का क्षत-विह्वल
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हृदय हताशाओं से घायल,
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किन्तु असह्य रणातुर  
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उसकी आत्मा का आह्वान !
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मुक्त बन्दी के प्राण !
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उस की भूख-प्यास भी नियमित  
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उस की अन्तिम सम्पत्ति परिहृत
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लज्जित पर बलिदान देखकर
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उस का जीवन-दान !
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मुक्त बन्दी के प्राणव !
  
 
'''डलहौजी, 1934'''
 
'''डलहौजी, 1934'''
 
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18:41, 19 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

मुक्त बन्दी के प्राण !

पैरें की गति शृंखल बाधित,
काया कारा-कलुषाच्छादित
पर किस विकल प्रेरणा-स्पन्दित
उद्धत उस का गान !

मुक्त बन्दी के प्राण !

अंग-अंग उस का क्षत-विह्वल
हृदय हताशाओं से घायल,
किन्तु असह्य रणातुर
उसकी आत्मा का आह्वान !

मुक्त बन्दी के प्राण !

उस की भूख-प्यास भी नियमित
उस की अन्तिम सम्पत्ति परिहृत
लज्जित पर बलिदान देखकर
उस का जीवन-दान !

मुक्त बन्दी के प्राणव !

डलहौजी, 1934