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"फिर समूचा एक दिन बीता / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर
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फिर समूचा एक दिन बीता | फिर समूचा एक दिन बीता | ||
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रह गया आधा-अधूरा आदमी रीता | रह गया आधा-अधूरा आदमी रीता | ||
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रोटियाँ-रुजगार | रोटियाँ-रुजगार | ||
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भागमभाग | भागमभाग | ||
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झिड़कियाँ-झौं-झौं कई खटराग | झिड़कियाँ-झौं-झौं कई खटराग | ||
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हर समय हर पल लहू पीता | हर समय हर पल लहू पीता | ||
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खुला आकाश | खुला आकाश | ||
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वाह ! क्या जीदारियत, शाबाश | वाह ! क्या जीदारियत, शाबाश | ||
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बहस का मैदान तो जीता | बहस का मैदान तो जीता | ||
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कारखाने-खेत औ' | कारखाने-खेत औ' | ||
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फुटपाथ | फुटपाथ | ||
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हाथ सबके साथ कितने हाथ | हाथ सबके साथ कितने हाथ | ||
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कह रही कुछ और भी गीता ! | कह रही कुछ और भी गीता ! | ||
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(रचनाकाल : 28.01.1979) | (रचनाकाल : 28.01.1979) | ||
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17:22, 21 जनवरी 2021 का अवतरण
फिर समूचा एक दिन बीता
रह गया आधा-अधूरा आदमी रीता
रोटियाँ-रुजगार
भागमभाग
झिड़कियाँ-झौं-झौं कई खटराग
हर समय हर पल लहू पीता
बन्द कमरों में
खुला आकाश
वाह ! क्या जीदारियत, शाबाश
बहस का मैदान तो जीता
कारखाने-खेत औ'
फुटपाथ
हाथ सबके साथ कितने हाथ
कह रही कुछ और भी गीता !
(रचनाकाल : 28.01.1979)