भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धरती सोई थी / श्याम सखा ’श्याम’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम' }} <Poem> धरती सोई थी अम्बर गरजा ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
धरती सोई थी | धरती सोई थी | ||
अम्बर गरजा | अम्बर गरजा | ||
+ | |||
सुन कोलाहल | सुन कोलाहल | ||
सहमी गलियां | सहमी गलियां | ||
शाखों में जा | शाखों में जा | ||
दुबकी कलियां | दुबकी कलियां | ||
+ | |||
बिजली ने उसको | बिजली ने उसको | ||
डांटा बरजा | डांटा बरजा | ||
+ | |||
राजा गूंगा | राजा गूंगा | ||
बहरी रानी | बहरी रानी | ||
कौन सुने | कौन सुने | ||
पीर-कहानी | पीर-कहानी | ||
+ | |||
सहमी सी गुम-सुम | सहमी सी गुम-सुम | ||
बैठी परजा[प्रजा] | बैठी परजा[प्रजा] | ||
+ | |||
घीसू पागल | घीसू पागल | ||
सेठ-सयाना | सेठ-सयाना | ||
दोनो का है | दोनो का है | ||
बैर पुराना | बैर पुराना | ||
+ | |||
कौन भरेगा | कौन भरेगा | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
18:37, 10 अक्टूबर 2008 का अवतरण
धरती सोई थी
अम्बर गरजा
सुन कोलाहल
सहमी गलियां
शाखों में जा
दुबकी कलियां
बिजली ने उसको
डांटा बरजा
राजा गूंगा
बहरी रानी
कौन सुने
पीर-कहानी
सहमी सी गुम-सुम
बैठी परजा[प्रजा]
घीसू पागल
सेठ-सयाना
दोनो का है
बैर पुराना
कौन भरेगा