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"धरती सोई थी / श्याम सखा ’श्याम’" के अवतरणों में अंतर
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18:44, 10 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण
धरती सोई थी
अम्बर गरजा
सुन कोलाहल
सहमी गलियां
शाखों में जा
दुबकी कलियां
बिजली ने उसको
डांटा बरजा
राजा गूंगा
बहरी रानी
कौन सुने
पीर-कहानी
सहमी सी गुम-सुम
बैठी परजा[प्रजा]
घीसू पागल
सेठ-सयाना
दोनो का है
बैर पुराना
कौन भरेगा
सारा कर्ज़ा