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"इस बारिश में / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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बारिश भी चली गई
  
अब जो घिरती हैं काली घटाएं
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उसी के लिए घिरती है
 
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कूकती हैं कोयलें उसी के लिए
 
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उसी के लिए उठती है
 
उसी के लिए उठती है
धरती के सीने से सोंधी सुगंध
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अब नहीं मेरे लिए
 
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एक हरी बूँद नहीं
 
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तोते नहीं, ताल नहीं, नदी नहीं, आर्द्रा नक्षत्र नहीं,
 
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कजरी मल्हाहर नहीं मेरे लिए
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कजरी मल्हार नहीं मेरे लिए
  
जिसकी नहीं कोई जमीन
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जिसकी नहीं कोई ज़ामीन
उसका नहीं कोई आसमान।
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उसका नहीं कोई आसमान ।
 
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15:50, 24 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

जिसके पास चली गई मेरी ज़मीन
उसी के पास अब मेरी
बारिश भी चली गई

अब जो घिरती हैं काली घटाएँ
उसी के लिए घिरती है
कूकती हैं कोयलें उसी के लिए
उसी के लिए उठती है
धरती के सीने से सोंधी सुगन्ध

अब नहीं मेरे लिए
हल नही बैल नही
खेतों की गैल नहीं
एक हरी बूँद नहीं
तोते नहीं, ताल नहीं, नदी नहीं, आर्द्रा नक्षत्र नहीं,
कजरी मल्हार नहीं मेरे लिए

जिसकी नहीं कोई ज़ामीन
उसका नहीं कोई आसमान ।