"हाइकु / शिवजी श्रीवास्तव / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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− | + | आम बौराया | |
− | + | फागुनी बयार ने | |
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− | + | आम बौळे गे | |
− | + | फागुण कि बार न | |
− | + | भुक्की पियाली | |
− | + | 2. | |
− | + | बेटियाँ हँसी | |
− | + | छेड़ दी हवाओं ने | |
− | + | सरगम -सी। | |
− | + | बेटुला हैंस्या | |
− | + | छेड़याली हवा न | |
− | + | सरगम सी | |
− | + | 3. | |
− | + | कागा की काँव | |
− | + | आएँगे कान्ह आज | |
− | + | राधा के गाँव। | |
− | + | कागै कि कौं-कौं | |
− | + | आला कन्हैया आज | |
− | + | राधिका का गौं | |
− | + | 4. | |
− | + | गंध संदली | |
− | + | दिशा- दिशा महकी | |
− | + | स्मृति वन में। | |
− | + | चंदनै कि गन्ध | |
− | + | दिसा-दिसा मैकी गी | |
− | + | यादू का बौंण | |
− | + | 5. | |
− | + | पढ़ो कबीर | |
− | + | खोजो जीवन सत्य | |
− | + | बनो फकीर। | |
− | + | पौढ़ कबीर | |
− | + | खोज ज्यूँण कु सत्त | |
− | + | बौंण फ़कीर | |
− | + | 6. | |
− | + | हल्कू उदास | |
− | + | फिर आई बैरन | |
− | + | पूस की रात। | |
− | + | हल्कू उदास | |
− | + | फीर ऐगे बैरी या | |
− | + | पूसै कि रात | |
− | + | 7. | |
− | + | सुर्ख गुलाब, | |
− | + | डायरी में अब भी | |
− | + | तुम्हारी याद। | |
− | + | लाल गुलाब | |
− | + | डैरी माँ अबि बि च | |
− | + | तुमारी खुद | |
− | + | 8. | |
− | + | श्रम की बूँदें | |
− | + | झरतीं खेतों बीच | |
− | + | बनतीं सोना। | |
− | + | मीनतै बुन्द | |
− | + | झड़ि पुंगड़यों माँ | |
− | + | बणिन सोनू | |
− | + | 9. | |
− | + | बाँचती उषा | |
− | प्रेम | + | प्रेम पत्र भोर का |
− | + | मुस्काती धरा | |
− | + | बाँचू बिंसरी | |
− | + | प्रेमै चिठ्ठी सुबेरै | |
− | + | हैंसदी पिर्थी | |
+ | 10. | ||
+ | नैन तुम्हारे | ||
+ | महाकाव्य रच दें | ||
+ | जहाँ निहारें। | ||
+ | |||
+ | आँखी तुमारी | ||
+ | महाकाव्य रचदि | ||
+ | जख देखदी | ||
11 | 11 | ||
− | + | सूने उर में | |
− | + | यादों के घन घिरे | |
− | + | नैन बरसे। | |
− | + | सुन्न हृदै माँ | |
− | + | यादू बादळ घिर्यां | |
− | + | आँखी बरसी | |
− | 12 | + | 12. |
− | + | चढ़ गया मैं | |
− | + | झुके कन्धे पिता के | |
− | + | बढ़ गया मैं | |
− | + | चौड़ी गयों मि | |
− | + | बुबा काँधा झुक्यन | |
− | + | बौढ़ी गयों मि | |
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14:00, 3 मई 2021 के समय का अवतरण
1.
आम बौराया
फागुनी बयार ने
चूमा है उसे।
आम बौळे गे
फागुण कि बार न
भुक्की पियाली
2.
बेटियाँ हँसी
छेड़ दी हवाओं ने
सरगम -सी।
बेटुला हैंस्या
छेड़याली हवा न
सरगम सी
3.
कागा की काँव
आएँगे कान्ह आज
राधा के गाँव।
कागै कि कौं-कौं
आला कन्हैया आज
राधिका का गौं
4.
गंध संदली
दिशा- दिशा महकी
स्मृति वन में।
चंदनै कि गन्ध
दिसा-दिसा मैकी गी
यादू का बौंण
5.
पढ़ो कबीर
खोजो जीवन सत्य
बनो फकीर।
पौढ़ कबीर
खोज ज्यूँण कु सत्त
बौंण फ़कीर
6.
हल्कू उदास
फिर आई बैरन
पूस की रात।
हल्कू उदास
फीर ऐगे बैरी या
पूसै कि रात
7.
सुर्ख गुलाब,
डायरी में अब भी
तुम्हारी याद।
लाल गुलाब
डैरी माँ अबि बि च
तुमारी खुद
8.
श्रम की बूँदें
झरतीं खेतों बीच
बनतीं सोना।
मीनतै बुन्द
झड़ि पुंगड़यों माँ
बणिन सोनू
9.
बाँचती उषा
प्रेम पत्र भोर का
मुस्काती धरा
बाँचू बिंसरी
प्रेमै चिठ्ठी सुबेरै
हैंसदी पिर्थी
10.
नैन तुम्हारे
महाकाव्य रच दें
जहाँ निहारें।
आँखी तुमारी
महाकाव्य रचदि
जख देखदी
11
सूने उर में
यादों के घन घिरे
नैन बरसे।
सुन्न हृदै माँ
यादू बादळ घिर्यां
आँखी बरसी
12.
चढ़ गया मैं
झुके कन्धे पिता के
बढ़ गया मैं
चौड़ी गयों मि
बुबा काँधा झुक्यन
बौढ़ी गयों मि
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