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"हाइकु / शिवजी श्रीवास्तव / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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1
+
1.
गुलमोहर
+
आम बौराया
कड़ी धूप में खड़ा
+
फागुनी बयार ने
वीर सैनिक।
+
चूमा है उसे।
+
गुलमोर च
+
तैला घाम माँ खड़ू
+
वीर फौजी-सी
+
2
+
विद्या का ओज
+
हरी पत्तियों पर
+
कोमल ओस।
+
  
बिद्या कु ओज
+
आम बौळे गे
हौरी पत्तियों परैं
+
फागुण कि बार न
कुंगळी ओंस
+
भुक्की पियाली
3
+
2.
झरी चाँदनी
+
बेटियाँ हँसी
झरे हरसिंगार
+
छेड़ दी हवाओं ने
धरा निहाल।
+
सरगम -सी।
  
खते जुनाळि
+
बेटुला हैंस्या
झौड़ी हरसिंगार
+
छेड़याली हवा न
पिर्थी बग्छट
+
सरगम सी
4
+
3.
प्राची है लाल
+
कागा की काँव
धरती ने सजाई
+
आएँगे कान्ह आज
अपनी माँग।
+
राधा के गाँव।
  
पुरब लाल
+
कागै कि कौं-कौं
पिर्थी न सजैयाली
+
आला कन्हैया आज
अपड़ी स्यूँद
+
राधिका का गौं
5
+
4.
स्नेहिल स्पर्श
+
गंध संदली
रच रहे नयन
+
दिशा- दिशा महकी
दिल का दर्द।
+
स्मृति वन में।
  
माया माँ छुएँ
+
चंदनै कि गन्ध
रचणी छन आँखी
+
दिसा-दिसा मैकी गी
हिरदै पिड़ा
+
यादू का बौंण
6
+
5.
जीवन -संध्या
+
पढ़ो कबीर
हे! अस्ताचलगामी
+
खोजो जीवन सत्य
बाँट लो दर्द।
+
बनो फकीर।
  
जिंदगी- रूम्क
+
पौढ़ कबीर
हे डुबदरा सुर्ज
+
खोज ज्यूँण कु सत्त
बाँट दि पिड़ा
+
बौंण फ़कीर
7
+
6.
मन को मार
+
हल्कू उदास
झेल रहे हैं रिश्ते
+
फिर आई बैरन
व्यंग्य बौछार।
+
पूस की रात।
  
मन मारी कि
+
हल्कू उदास
झेंन्ना छन रिस्ता त
+
फीर ऐगे बैरी या
टौंखाँणु मार
+
पूसै कि रात
8
+
7.
सुनो धरती
+
सुर्ख गुलाब,
हवा- पानी की रक्षा
+
डायरी में अब भी
मनु का काम।
+
तुम्हारी याद।
  
सूँण पिरथी
+
लाल गुलाब
हवा-पाणी रगछा
+
डैरी माँ अबि बि च
मन्ख्यों कु काम
+
तुमारी खुद
9
+
8.
सहमी चिड़ी
+
श्रम की बूँदें
पाकर प्रताड़ना
+
झरतीं खेतों बीच
सबसे भिड़ी।
+
बनतीं सोना।
  
डौंरीं प्वथली
+
मीनतै बुन्द
पै कैं प्रताणन्ना जु
+
झड़ि पुंगड़यों माँ
सब्बु सि लौड़ी
+
बणिन सोनू
10
+
9.
शब्दों से कोरे
+
बाँचती उषा
प्रेम -ग्रन्थ के पन्ने
+
प्रेम पत्र भोर का
सुवास भरे।
+
मुस्काती धरा
  
सब्दु सि क्वारा
+
बाँचू बिंसरी
मायै पोथी का पन्ना
+
प्रेमै चिठ्ठी सुबेरै
खुसबो भर्यां
+
हैंसदी पिर्थी
 +
10.
 +
नैन तुम्हारे
 +
महाकाव्य रच दें
 +
जहाँ निहारें।
 +
 
 +
आँखी तुमारी
 +
महाकाव्य रचदि
 +
जख देखदी
 
11
 
11
गिरि से गिरी
+
सूने उर में
गिरकर भी चली
+
यादों के घन घिरे
कर्मठ सरि।
+
नैन बरसे।
  
पाड़ू-लमडी
+
सुन्न हृदै माँ
लमडीक बि चन्नी
+
यादू बादळ घिर्यां
किसाण गंगा
+
आँखी बरसी
12
+
12.
स्वप्न का सार
+
चढ़ गया मैं
मन की चौखट को
+
झुके कन्धे पिता के
करे न पार।
+
बढ़ गया मैं
  
स्वीणा कु सार
+
चौड़ी गयों मि
मना संघाड़ सन
+
बुबा काँधा झुक्यन
करू न पार।
+
बौढ़ी गयों मि
 
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14:00, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1.
आम बौराया
फागुनी बयार ने
चूमा है उसे।

आम बौळे गे
फागुण कि बार न
भुक्की पियाली
2.
बेटियाँ हँसी
छेड़ दी हवाओं ने
सरगम -सी।

बेटुला हैंस्या
छेड़याली हवा न
सरगम सी
3.
कागा की काँव
आएँगे कान्ह आज
राधा के गाँव।

कागै कि कौं-कौं
आला कन्हैया आज
राधिका का गौं
4.
गंध संदली
दिशा- दिशा महकी
स्मृति वन में।

चंदनै कि गन्ध
दिसा-दिसा मैकी गी
यादू का बौंण
5.
पढ़ो कबीर
खोजो जीवन सत्य
बनो फकीर।

पौढ़ कबीर
खोज ज्यूँण कु सत्त
बौंण फ़कीर
6.
हल्कू उदास
फिर आई बैरन
पूस की रात।

हल्कू उदास
फीर ऐगे बैरी या
पूसै कि रात
7.
सुर्ख गुलाब,
डायरी में अब भी
तुम्हारी याद।

लाल गुलाब
डैरी माँ अबि बि च
तुमारी खुद
8.
श्रम की बूँदें
झरतीं खेतों बीच
बनतीं सोना।

मीनतै बुन्द
झड़ि पुंगड़यों माँ
बणिन सोनू
9.
बाँचती उषा
प्रेम पत्र भोर का
मुस्काती धरा

बाँचू बिंसरी
प्रेमै चिठ्ठी सुबेरै
हैंसदी पिर्थी
10.
नैन तुम्हारे
महाकाव्य रच दें
जहाँ निहारें।

आँखी तुमारी
महाकाव्य रचदि
जख देखदी
11
सूने उर में
यादों के घन घिरे
नैन बरसे।

सुन्न हृदै माँ
यादू बादळ घिर्यां
आँखी बरसी
12.
चढ़ गया मैं
झुके कन्धे पिता के
बढ़ गया मैं

चौड़ी गयों मि
बुबा काँधा झुक्यन
बौढ़ी गयों मि
-0-