"हाइकु / प्रियंका गुप्ता / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | खाली है बरसों से | ||
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+ | रीति बरसु बिटी | ||
+ | तुम भौर देवा | ||
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+ | दौड़ता आया | ||
+ | धूल की गठरी ले | ||
+ | हवा का घोड़ा | ||
+ | अटगी आई | ||
+ | धूळै कि फाँची लीक | ||
+ | बथौं कु घ्वाड़ा | ||
+ | 3 | ||
+ | गर्मी के मारे | ||
+ | तालाब में सो गया | ||
+ | बेचैन चाँद | ||
+ | भक्का कारण | ||
+ | तलौ माँ सेई ग्याई | ||
+ | बिचैन जून | ||
+ | 4 | ||
+ | कुछ यादें थी | ||
+ | तुमने बिखरा दी | ||
+ | कैसे बटोरूँ? | ||
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+ | कुछ याद छै | ||
+ | तुमुन फोळयेन | ||
+ | कनैं बटोळौं | ||
+ | 5 | ||
+ | पीले पत्ते थे | ||
+ | शाख ने गिरा दिए | ||
+ | कच्चा था रिश्ता | ||
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+ | पिंगळा पत्ता | ||
+ | फाँगौं न उन्द्द धोळे | ||
+ | काचु छौ रिस्ता | ||
+ | 6 | ||
+ | आज़ाद पंछी | ||
+ | कब किसी का हुआ | ||
+ | झट से उड़ा | ||
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+ | आजाद पग्छी | ||
+ | कबारि ह्वाई कैकू | ||
+ | झट कै उड़ी | ||
+ | 7 | ||
+ | पूस की रात | ||
+ | मेरे साथ ठिठुरे | ||
+ | मेरा साया भी | ||
+ | |||
+ | पूसै कि रात | ||
+ | मेरी दगड़ी कौंपी | ||
+ | मेरु छैलू बि | ||
+ | 8 | ||
+ | रिश्तों की धूप | ||
+ | आँगन में उतरी | ||
+ | सहला गई | ||
+ | |||
+ | रिस्तौं कु घाम | ||
+ | चौक माँ उतरीक | ||
+ | मलासी ग्याई | ||
+ | 9 | ||
+ | बाँहें फैलाओ | ||
+ | मुट्ठी में आसमान | ||
+ | बाँध ले आओ | ||
+ | |||
+ | अंग्वाळ फैलौ | ||
+ | मुट्ठी मंगैं आगास | ||
+ | बाँधी क लि यौ | ||
+ | 10 | ||
+ | यादों के पन्ने | ||
+ | आँसू से गीले हुए | ||
+ | तो भी न फटे | ||
+ | |||
+ | खुद क पन्ना | ||
+ | आँसुन गिल्ला ह्वेन | ||
+ | तौ बि नि फटी | ||
+ | 11 | ||
+ | टपके आँसू | ||
+ | तकिये में जा छिपे | ||
+ | ढूँढे न मिले | ||
+ | |||
+ | आँसू च्वींयन | ||
+ | सिर्वणा माँ लुक्यन | ||
+ | खोजि नि मिल्यें | ||
+ | 12 | ||
+ | काँटों की खेती | ||
+ | बेचने चले फूल | ||
+ | कैसी ये भूल ? | ||
+ | |||
+ | काँडौं की खेति | ||
+ | बेचणों चले फूल | ||
+ | कनि या भूल | ||
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14:02, 3 मई 2021 के समय का अवतरण
1
प्रेम--गागर
खाली है बरसों से
तुम भर दो
प्रेमैं गागर
रीति बरसु बिटी
तुम भौर देवा
2
दौड़ता आया
धूल की गठरी ले
हवा का घोड़ा
अटगी आई
धूळै कि फाँची लीक
बथौं कु घ्वाड़ा
3
गर्मी के मारे
तालाब में सो गया
बेचैन चाँद
भक्का कारण
तलौ माँ सेई ग्याई
बिचैन जून
4
कुछ यादें थी
तुमने बिखरा दी
कैसे बटोरूँ?
कुछ याद छै
तुमुन फोळयेन
कनैं बटोळौं
5
पीले पत्ते थे
शाख ने गिरा दिए
कच्चा था रिश्ता
पिंगळा पत्ता
फाँगौं न उन्द्द धोळे
काचु छौ रिस्ता
6
आज़ाद पंछी
कब किसी का हुआ
झट से उड़ा
आजाद पग्छी
कबारि ह्वाई कैकू
झट कै उड़ी
7
पूस की रात
मेरे साथ ठिठुरे
मेरा साया भी
पूसै कि रात
मेरी दगड़ी कौंपी
मेरु छैलू बि
8
रिश्तों की धूप
आँगन में उतरी
सहला गई
रिस्तौं कु घाम
चौक माँ उतरीक
मलासी ग्याई
9
बाँहें फैलाओ
मुट्ठी में आसमान
बाँध ले आओ
अंग्वाळ फैलौ
मुट्ठी मंगैं आगास
बाँधी क लि यौ
10
यादों के पन्ने
आँसू से गीले हुए
तो भी न फटे
खुद क पन्ना
आँसुन गिल्ला ह्वेन
तौ बि नि फटी
11
टपके आँसू
तकिये में जा छिपे
ढूँढे न मिले
आँसू च्वींयन
सिर्वणा माँ लुक्यन
खोजि नि मिल्यें
12
काँटों की खेती
बेचने चले फूल
कैसी ये भूल ?
काँडौं की खेति
बेचणों चले फूल
कनि या भूल
-0-