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बंद दरवाबंद(દરવાજા) / कविता भट्ट
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{{KKCatKavita}}
<poem>
દરવાજા
'''( अनुवाद )'''
સૂર્ય ઊગતા જ
ક્યારેક ખુલ્લતું હતું
લહેરાશે ફરીથી બારીઓ
ખીણમાં અવાજના મોજાઓનો પડઘો.
'''
(અનુવાદ:-
ધ્રુવ ભટ્ટ
)
'''
हिन्दी मूल रचना निम्नलिखित लिंक पर पढ़ सकते हैं
[[दरवाज़ा / कविता भट्ट]]
</poem>
वीरबाला
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