भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी / अज़हर फ़राग़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज़हर फ़राग़ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:18, 29 मई 2021 के समय का अवतरण

कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी
मैं तो हर तरह से हूँ राएगाँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी

मिरे हम-नफ़स तू चराग़ था तुझे क्या ख़बर मिरे हाल की
कि जिया मैं कैसे धुआँ धुआँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी

न तिरा विसाल विसाल था न तिरी जुदाई जुदाई है
वही हालत-ए-दिल-ए-बद-गुमाँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी

मैं ये चाहता हूँ कि उम्र-भर रहे तिश्नगी मिरे इश्क़ में
कोई जुस्तुजू रहे दरमियाँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी

मिरे नक़्श-ए-पा तुझे देख कर ये जो चल रहे हैं उन्हें बता
है मिरा सुराग़ मिरा निशाँ तिरे साथ भी तिरे बाद भी