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"नोटिस बोर्ड / अशोक शाह" के अवतरणों में अंतर
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+ | निशान एक धुँधला रखा हैं | ||
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+ | बह गयी नदी के | ||
+ | ठिठके घाटों को | ||
+ | नोटिस बोर्ड-सा चिपका रखा है | ||
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15:02, 26 जून 2021 के समय का अवतरण
कुछ गुमा लिखा है यहाँ
शाख से टूटे पत्ते के, ढूँढ़ों,
वृक्ष का पता लिखा है
बादल जो गुजर गया,
ज़ुल्फ़ों को बिखेर गया
उस पवन का झोंका अटका है
सँासें कुछ रुकी हुईं नज़रें हैं अटकीं हुईं
एक अधूरा प्यार यहाँ
तस्वीरों में चिपका रखा है
गुजरे गये अतीत के
विस्मृतियों की परतों का
टुकड़ा एक अलगा रखा है
नया कुछ नहीं, मंच पर
बीती अधूरी ज़िन्दगी का
निशान एक धुँधला रखा हैं
बह गयी नदी के
ठिठके घाटों को
नोटिस बोर्ड-सा चिपका रखा है