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"खिली चाँदनी / हरदीप कौर सन्धु" के अवतरणों में अंतर
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+ | माँ के आँचल में ज्यों | ||
+ | खिली चाँदनी | ||
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+ | बात जाने वो | ||
+ | चेहरा यूँ पढ़कर | ||
+ | अंतर्यामी माँ | ||
+ | 33 | ||
+ | तू दूर भला, | ||
+ | थामे हुए मुझको | ||
+ | माँ तेरी बाहें | ||
+ | 34 | ||
+ | विदा की घड़ी | ||
+ | कूँज बिछुड़ गई | ||
+ | आज डार से | ||
+ | 35 | ||
+ | माँ की कढ़ाई | ||
+ | चादर को बिछाऊँ | ||
+ | माँ स्पर्श पाऊँ | ||
+ | 36 | ||
+ | लाडो बिटिया | ||
+ | होती माँ का ही अंश | ||
+ | चलाए वंश | ||
+ | 36 | ||
+ | विदा की घड़ी | ||
+ | द्वार भी घबराए | ||
+ | बिटिया चली | ||
+ | 38 | ||
+ | कब है सोना | ||
+ | एक माँ ही समझे | ||
+ | शिशु का रोना | ||
+ | 39 | ||
+ | कैसे जिओगे? | ||
+ | जब जीवन से हो | ||
+ | प्यार लापता | ||
+ | 40 | ||
+ | ये जीवन है | ||
+ | सुख और दुःख का | ||
+ | जमा -निकासी | ||
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22:30, 27 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
31
गोद में नन्ही
माँ के आँचल में ज्यों
खिली चाँदनी
32
बात जाने वो
चेहरा यूँ पढ़कर
अंतर्यामी माँ
33
तू दूर भला,
थामे हुए मुझको
माँ तेरी बाहें
34
विदा की घड़ी
कूँज बिछुड़ गई
आज डार से
35
माँ की कढ़ाई
चादर को बिछाऊँ
माँ स्पर्श पाऊँ
36
लाडो बिटिया
होती माँ का ही अंश
चलाए वंश
36
विदा की घड़ी
द्वार भी घबराए
बिटिया चली
38
कब है सोना
एक माँ ही समझे
शिशु का रोना
39
कैसे जिओगे?
जब जीवन से हो
प्यार लापता
40
ये जीवन है
सुख और दुःख का
जमा -निकासी