भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उसके बारे में / धूमिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Gyan Prakash (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=धूमिल | ||
+ | }} | ||
+ | <poem> | ||
पता नहीं कितनी रिक्तता थी- | पता नहीं कितनी रिक्तता थी- | ||
− | जो भी | + | जो भी मुझमें होकर गुज़रा -रीत गया |
− | पता नहीं कितना अन्धकार था | + | पता नहीं कितना अन्धकार था मुझमें |
− | मैं सारी उम्र चमकने | + | मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में |
− | बीत गया | + | बीत गया |
भलमनसाहत | भलमनसाहत | ||
− | और मानसून के | + | और मानसून के बीच खड़ा मैं |
ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ | ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ | ||
मैं अपनी व्यवस्थाओं में | मैं अपनी व्यवस्थाओं में | ||
− | बीमार | + | बीमार हूँ |
+ | </poem> |
16:16, 29 मार्च 2022 के समय का अवतरण
पता नहीं कितनी रिक्तता थी-
जो भी मुझमें होकर गुज़रा -रीत गया
पता नहीं कितना अन्धकार था मुझमें
मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में
बीत गया
भलमनसाहत
और मानसून के बीच खड़ा मैं
ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ
मैं अपनी व्यवस्थाओं में
बीमार हूँ