भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"किरकली रोटी / बबली गुज्जर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बबली गुज्जर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
दिखा देती हो हमें कोई सुंदर तस्वीर | दिखा देती हो हमें कोई सुंदर तस्वीर | ||
− | हम पिता को खो चुकी | + | हम पिता को खो चुकी बच्चियाँ |
− | उस भूखे बालक सी रह जाती हैं तरसती | + | उस भूखे बालक- सी रह जाती हैं तरसती |
− | जिसे भिक्षा में मिली | + | जिसे भिक्षा में मिली इकलौती रोटी |
ज़मीन पर गिरकर हो गई है किरकली | ज़मीन पर गिरकर हो गई है किरकली | ||
</poem> | </poem> |
10:59, 4 जून 2022 के समय का अवतरण
मेरी दोस्त, शायद तुम्हें अजीब लगे,
पर जब तुम अपने बाबा के सीने लगकर
उनका हाथ थामे, उन्हें बाहों में कसकर
दिखा देती हो हमें कोई सुंदर तस्वीर
हम पिता को खो चुकी बच्चियाँ
उस भूखे बालक- सी रह जाती हैं तरसती
जिसे भिक्षा में मिली इकलौती रोटी
ज़मीन पर गिरकर हो गई है किरकली