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"भूल जाना मुझे / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर

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भूल जाना मुझे
 
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जैसे भुला दी जाती है
 
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अँधेरे जंगल से गुजरती रेलगाड़ी
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जिसकी दहकती खिड़कियाँ
 
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दस्‍तक नहीं देतीं स्‍मृतियों पर ।
 
दस्‍तक नहीं देतीं स्‍मृतियों पर ।
  
हिम्‍मत रखना, सोचना --
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हिम्‍मत रखना, सोचना
 
मैं जैसे रहा ही न हूँगा इस संसार में
 
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यह इतने महत्‍व का नहीं,
 
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कैसे सपने देखेंगे जीवित लोग
 
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निर्भर करता है मृतकों पर ।
 
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'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
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'''लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए'''
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Евгений Евтушенко
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Забудьте меня, если это забвенье
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счастливее сделает вас на мгновенье,
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забудьте, как темной тайги дуновенье
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и как дуновению повиновенье.
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Забудьте меня, как себя забывают,
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и только при этом собою бывают.
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Забудьте меня, словно отблеск пожара,
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чье пламя нас грело, и вам угрожало,
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и жаром и холодом вас окружало,
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и, вас обвивая, по телу бежало.
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Забудьте меня, словно поезд, промчавший
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горящие окна над черною чащей
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и в памяти даже уже не стучащий,
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как будто пропавший, как будто пропащий.
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Забудьте меня. Поступите отважно.
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Я был или не был - не так это важно,
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лишь вы бы глядели тревожно и влажно
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и жили бы молодо и непродажно…
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Но не забывать – это право забытых,
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Как сниться живым - это право убитых.
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1977
 
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10:55, 20 जून 2022 का अवतरण

भूल जाना मुझे
अवश्‍य भूल जाना
एक पल के लिए भी यदि अच्‍छा लगे
भूल जाना मुझे ।
भूल जाना
अन्धियारे तायगा के झोंकों की तरह
इन झोंकों के प्रति हमारी विवशता की तरह ।

भूल जाना मुझे
जैसे भुलाया जाता है अपने आपको
और भूल जाने पर भी
हम होते हैं जो हैं वास्‍तव में ।
भूल जाना मुझे
आग की चमक ही तरह
जिसकी लपटों ने झुलसाया तुम्‍हें,
डराया अपनी गरमाहट से
और घेरे रखा शीत के भय से ।

भूल जाना मुझे
जैसे भुला दी जाती है
अन्धेरे जंगल से गुज़रती रेलगाड़ी
जिसकी दहकती खिड़कियाँ
दस्‍तक नहीं देतीं स्‍मृतियों पर ।

हिम्‍मत रखना, सोचना —
मैं जैसे रहा ही न हूँगा इस संसार में
यह इतने महत्‍व का नहीं,
बस, तुम देखते रहना
चिन्तित और आर्द्र,
बने रहना युवा, बिकना नहीं किसी के हाथ ।

पर, न भूलने का अधिकार प्राप्‍त है उन्‍हें
जिन्‍हें भुला दिया गया है
कैसे सपने देखेंगे जीवित लोग
निर्भर करता है मृतकों पर ।

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
Евгений Евтушенко
            * * *
Забудьте меня, если это забвенье
счастливее сделает вас на мгновенье,
забудьте, как темной тайги дуновенье
и как дуновению повиновенье.

Забудьте меня, как себя забывают,
и только при этом собою бывают.

Забудьте меня, словно отблеск пожара,
чье пламя нас грело, и вам угрожало,
и жаром и холодом вас окружало,
и, вас обвивая, по телу бежало.

Забудьте меня, словно поезд, промчавший
горящие окна над черною чащей
и в памяти даже уже не стучащий,
как будто пропавший, как будто пропащий.

Забудьте меня. Поступите отважно.
Я был или не был - не так это важно,
лишь вы бы глядели тревожно и влажно
и жили бы молодо и непродажно…

Но не забывать – это право забытых,
Как сниться живым - это право убитых.

1977