"भूल जाना मुझे / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 67: | पंक्ति 67: | ||
Забудьте меня. Поступите отважно. | Забудьте меня. Поступите отважно. | ||
− | Я был или не был | + | Я был или не был – не так это важно, |
лишь вы бы глядели тревожно и влажно | лишь вы бы глядели тревожно и влажно | ||
и жили бы молодо и непродажно… | и жили бы молодо и непродажно… | ||
Но не забывать – это право забытых, | Но не забывать – это право забытых, | ||
− | Как сниться живым | + | Как сниться живым – это право убитых. |
1977 | 1977 | ||
</poem> | </poem> |
10:57, 20 जून 2022 के समय का अवतरण
भूल जाना मुझे
अवश्य भूल जाना
एक पल के लिए भी यदि अच्छा लगे
भूल जाना मुझे ।
भूल जाना
अन्धियारे तायगा के झोंकों की तरह
इन झोंकों के प्रति हमारी विवशता की तरह ।
भूल जाना मुझे
जैसे भुलाया जाता है अपने आपको
और भूल जाने पर भी
हम होते हैं जो हैं वास्तव में ।
भूल जाना मुझे
आग की चमक ही तरह
जिसकी लपटों ने झुलसाया तुम्हें,
डराया अपनी गरमाहट से
और घेरे रखा शीत के भय से ।
भूल जाना मुझे
जैसे भुला दी जाती है
अन्धेरे जंगल से गुज़रती रेलगाड़ी
जिसकी दहकती खिड़कियाँ
दस्तक नहीं देतीं स्मृतियों पर ।
हिम्मत रखना, सोचना —
मैं जैसे रहा ही न हूँगा इस संसार में
यह इतने महत्व का नहीं,
बस, तुम देखते रहना
चिन्तित और आर्द्र,
बने रहना युवा, बिकना नहीं किसी के हाथ ।
पर, न भूलने का अधिकार प्राप्त है उन्हें
जिन्हें भुला दिया गया है
कैसे सपने देखेंगे जीवित लोग
निर्भर करता है मृतकों पर ।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
Евгений Евтушенко
* * *
Забудьте меня, если это забвенье
счастливее сделает вас на мгновенье,
забудьте, как темной тайги дуновенье
и как дуновению повиновенье.
Забудьте меня, как себя забывают,
и только при этом собою бывают.
Забудьте меня, словно отблеск пожара,
чье пламя нас грело, и вам угрожало,
и жаром и холодом вас окружало,
и, вас обвивая, по телу бежало.
Забудьте меня, словно поезд, промчавший
горящие окна над черною чащей
и в памяти даже уже не стучащий,
как будто пропавший, как будто пропащий.
Забудьте меня. Поступите отважно.
Я был или не был – не так это важно,
лишь вы бы глядели тревожно и влажно
и жили бы молодо и непродажно…
Но не забывать – это право забытых,
Как сниться живым – это право убитых.
1977