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Kavita Kosh से
ताड़, तेंदू, नीम, रेंजर
चित्र लिखी खजूर पांतेंपाँतें
छाँह मंदी डाल जिन पर
पूर्व से उठ चाँद आँधाआधा
स्याह जल में चमचमाता
धन वनस्पति भरे जंगल
और यह जीवन भिखरीभिखारी
शाप नल का घूमता है