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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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[[Category:नवगीत]]{{KKCatNavgeet}}<poem> 
लो पोथियाँ हमने पुरानी
ताक पर रख दी
हम दूसरों को भला
देते सज़ा क्यों प्यास की।
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