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यही तुम्हें भी खिलाती-पिलाती है | यही तुम्हें भी खिलाती-पिलाती है | ||
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यह भी जान लो — | यह भी जान लो — | ||
हम दोनों उसी गीली मिट्टी से बने हैं | हम दोनों उसी गीली मिट्टी से बने हैं | ||
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हमें सुखाया-पकाया भी | हमें सुखाया-पकाया भी | ||
एक ही सूरज ने अपनी धूप से है | एक ही सूरज ने अपनी धूप से है |
16:38, 5 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण
तुम कहाँ की रहने वाली हो ? — तुमने पूछा ।
न मेरा नाम पूछा, न यह पूछा
कि मैं हूँ कौन ?
तुम्हें सिर्फ़ यह जानना था
कि मेरी पैदाइश कहाँ की है
और मैं कहाँ से चलकर
यहाँ तक आई हूँ ?
तो लो, सुनो, अपने सवालों के जवाब —
मैं उसी धरती की बेटी हूँ
जिस पर तुम्हारे क़दम भी चलते हैं
यही धरती तुम्हें थामती है
यही तुम्हें भी खिलाती-पिलाती है
यदि तुम भूल गई हों तो
यह भी जान लो —
हम दोनों उसी गीली मिट्टी से बने हैं
हम दोनों को गढ़ा भी है
एक ही हाथ ने
हमें सुखाया-पकाया भी
एक ही सूरज ने अपनी धूप से है
हम दोनों एक ही हवा में
सांस लेते रहे हैं
हम दोनों एक ही खेत में
उगी जुड़वाँ फ़सलें हैं
एक ही बारिश ने हम दोनों को बराबरी से सींचा है ।
सम्भव है, इतिहास के प्रारम्भ में
बहनें — तुम्हारी और मेरी पुरखा बहनें
किसी मोड़ पर एक दूसरे से बिछड़ गई हों
और चल पड़ी हों उलटी दिशाओं में
अलग-अलग राहों पर
फिर हुआ यह कि तुम्हारी बहनें
ठहर गईं मैदानी इलाकों में
और हमारी बहनें चलती चली गईं
और रुकीं पहाड़ों पर चढ़कर...
हम दोनों को ऐसे रहते बीत गईं सदियाँ
और धीरे-धीरे अलहदा हो गई
हमारी जीवनशैली और रुचियाँ
इसीलिए अब मैं कोहरे से लिपटी
और बुरुंश और आर्किड की छटा के बीच
बसी पहाड़ियों में
शीतल हवा के मोहक जादू के साथ रहती हूँ
और तुम समुद्र के साथ चलती
पाम वृक्षों की कतार के पीछे रहती हो
अब उन पेड़ों के बीच से
तुम मुझे आँखें फाड़कर इस तरह घूर रही हो
जैसे मैं इस धरती की हूँ ही नहीं
किसी और ग्रह से चलकर
यहाँ आ पहुँची जन्तु हूँ ।
—
अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र