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|विविध=हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी ने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई। | |विविध=हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी ने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई। | ||
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जयशंकर प्रसाद
www.kavitakosh.org/prasad
www.kavitakosh.org/prasad
जन्म | 30 जनवरी 1889 |
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निधन | 15 नवम्बर 1937 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
कामायनी, आँसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना, लहर | |
विविध | |
हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। प्रसाद जी ने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई। | |
जीवन परिचय | |
जयशंकर प्रसाद / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/prasad |
लम्बी रचनाएँ / काव्य संग्रह
- कामायनी / जयशंकर प्रसाद (महाकाव्य)
- आँसू / जयशंकर प्रसाद
- झरना / जयशंकर प्रसाद
- कानन-कुसुम / जयशंकर प्रसाद
- लहर / जयशंकर प्रसाद
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- चित्राधार / जयशंकर प्रसाद
- आह ! वेदना मिली विदाई / जयशंकर प्रसाद
- बीती विभावरी जाग री / जयशंकर प्रसाद
- दो बूँदें / जयशंकर प्रसाद
- प्रयाणगीत / जयशंकर प्रसाद
- तुम कनक किरन / जयशंकर प्रसाद
- भारत महिमा / जयशंकर प्रसाद
- अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद
- आत्मकथ्य / जयशंकर प्रसाद
- सब जीवन बीता जाता है / जयशंकर प्रसाद
- हिमाद्रि तुंग शृंग से / जयशंकर प्रसाद