"प्रतीक्षालय / शहनाज़ मुन्नी / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शहनाज़ मुन्नी |अनुवादक=अनिल जनवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | रात कभी दिन तक नहीं पहुँचती, | |
+ | सर्दी कभी गर्मी से नहीं मिलती, | ||
+ | वे दूर- हैं और एक दूसरे के विपरीत हैं | ||
+ | निबंध लेखन, | ||
+ | रात और दिन के बीच प्रतीक्षालय | ||
+ | सुबह और शाम के बीच रोजाना संघर्ष होता है | ||
+ | सर्दी और गर्मी के बीच रहता है | ||
+ | वर्षा और हेमंत नाम के दो मिडिल क्लास | ||
+ | सरत नाम के एक सज्जन | ||
+ | अक्सर उनके झगड़ों में मध्यस्थता करता है | ||
+ | प्रतीक्षा अंतहीन हो सकती है | ||
+ | लोगों को इसका एहसास कभी नहीं होता। | ||
+ | पेड़ समझते हैं, वे प्रतीक्षा करते हैं, | ||
+ | जिस दिन रात दिन से मेल खाएगी | ||
+ | सर्दी और गर्मी के बीच कोई दूरी नहीं होगी। | ||
'''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय''' | '''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय''' |
15:51, 21 नवम्बर 2022 का अवतरण
रात कभी दिन तक नहीं पहुँचती,
सर्दी कभी गर्मी से नहीं मिलती,
वे दूर- हैं और एक दूसरे के विपरीत हैं
निबंध लेखन,
रात और दिन के बीच प्रतीक्षालय
सुबह और शाम के बीच रोजाना संघर्ष होता है
सर्दी और गर्मी के बीच रहता है
वर्षा और हेमंत नाम के दो मिडिल क्लास
सरत नाम के एक सज्जन
अक्सर उनके झगड़ों में मध्यस्थता करता है
प्रतीक्षा अंतहीन हो सकती है
लोगों को इसका एहसास कभी नहीं होता।
पेड़ समझते हैं, वे प्रतीक्षा करते हैं,
जिस दिन रात दिन से मेल खाएगी
सर्दी और गर्मी के बीच कोई दूरी नहीं होगी।
मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल बांगला में पढ़िए
শাহনাজ মুন্নী
অপেক্ষা ঘর
রাত কখনো পায়না দিনের নাগাল,
শীতের সাথে গ্রীষ্মের দেখা হয় না কোন দিন,
তবু তারা পরস্পরের দুরত্ব আর বৈপরীত্য নিয়ে
প্রবন্ধ রচনা করে,
রাত আর দিনের মাঝখানে অপেক্ষা ঘর
সেইখানে ভোর আর সন্ধ্যার নিত্য কলহ
শীত আর গ্রীষ্মের মাঝখানে থাকেন
বর্ষা ও হেমন্ত নামের দুজন মধ্যবিত্ত
শরৎ নামের ভদ্রলোক
প্রায়শই তাদের ঝগড়াঝাটিতে মধ্যস্থতা করেন
অপেক্ষা যে অনন্ত হতে পারে
মানুষ তা পায় না কখনো টের,
টের পায় গাছেরা, তারা অপেক্ষা করে,
যেদিন রাত মিলে যাবে দিনের সাথে
শীত আর গ্রীষ্মের কোন দূরত্ব থাকবে না।