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"फूल कनेर के / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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किसने रोके पाँव अचानक
 
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धीरे-धीरे  टेर  के ।
 
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लो आँगन फूल कनेर के
 
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दिन भर गुमसुम सोई माधवी
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तनिक  नहीं  आभास रहा ;
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घिरा अँधेरा खूब नहाई
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सुरभि- सरोवर पास रहा  ।
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पलक बिछाए बिछे धरा पर
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प्यारे  फूल कनेर के।
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बौराया  मन चैन ना पाए
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व्याकुल झुकती डाल –सा
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पीपल के पत्ते-सा थिरके
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हिलता किसी रूमाल-सा
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चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
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00:16, 5 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

किसने रोके पाँव अचानक
धीरे-धीरे टेर के ।
उजले –पीले भरकर आए-
लो आँगन फूल कनेर के
 
दिन भर गुमसुम सोई माधवी
तनिक नहीं आभास रहा ;
घिरा अँधेरा खूब नहाई
सुरभि- सरोवर पास रहा ।
 
पलक बिछाए बिछे धरा पर
प्यारे फूल कनेर के।
 
बौराया मन चैन ना पाए
व्याकुल झुकती डाल –सा
पीपल के पत्ते-सा थिरके
हिलता किसी रूमाल-सा
 
चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
ले गया फूल कनेर के ।
-0- (12-4-1994:समय सुरभि जनवरी2001)