{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |संग्रह= }}{{KKCatKavita}}<poem>कितना अच्छा होता !
कितना अच्छा होता !जो तुम
यूँ बरसों पहले मिल जाते
तुम हो मन के मीत हमारे
रिश्तों के धागों से ऊपर
तुम हो गंगा -जैसी पावन ।-0--(26 मार्च, 2010) </poem>