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"खोल दो / प्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर

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अनबोली घुटन में पस्त
 
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मेरा चेहरा
 
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मेरा कमरा
 
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मेरा दफ़्तर
 
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मेरा देश
 
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भीतर कौन है जो हवा को मथ रहा है
 
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भीतर कोई है
 
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जो हवा बारूद से
 
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ज़मीन, खिड़की, सड़क को
 
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आसमान तक ले जाकर
 
आसमान तक ले जाकर
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खोल देगा
 
खोल देगा

10:24, 15 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

अनबोली घुटन में पस्त

मेरा चेहरा

मेरा कमरा

मेरा दफ़्तर

मेरा देश


भीतर कौन है जो हवा को मथ रहा है

भीतर कोई है

जो हवा बारूद से

ज़मीन, खिड़की, सड़क को

आसमान तक ले जाकर

खोल देगा