गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
यादों की धूल / रीटा डाव / अनिल जनविजय
6 bytes removed
,
13:04, 27 अगस्त 2023
ये सूरज है कि किरणों का कहर
ज्यों बरछियों ने बोला हो धावा
फिर
उसके
ये
धूसर कपड़े भी दोपहर
जीवन को बनाते हैं लावा ।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits