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जगदीश व्योम

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/* नवगीत / कविताएँ */
माँ {{KKGlobal}}{{KKParichay|चित्र=Vyom-29-8-06.jpg|नाम=जगदीश व्योम|उपनाम=व्योम|जन्म=01 मई 1960|जन्मस्थान=शम्भूनगला, [[उत्तर प्रदेश]], भारत|कृतियाँ= कन्नौजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण (शोध-ग्रंथ), कन्नौजी शब्द कोश (कोश), हिंदी हाइकु कोश, लोकोक्ति एवं मुहावरा कोश, नन्हा बलिदानी (बाल उपन्यास), डब्बू की डिबिया (बाल उपन्यास), तीन पैरों वाला चोर (बाल कहानी संग्रह), सगुनी का सपना (बाल कहानी संग्रह), [[इन्द्र धनुष / जगदीश व्योम|इन्द्र धनुष]], [[भोर के स्वर / जगदीश व्योम|भोर के स्वर]] (काव्य संग्रह), आजादी के आस पास, कहानियों का कुनबा (संपादित कहानी संग्रह), फुलवारी (बालगीत संकलन), ’बाल प्रतिबिम्ब’ (बाल साहित्य पत्रिका), भारतीय बच्चों के हाइकु (दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चों की हाइकु कविताओं का संकलन)|विविध=विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए लगभग ३० पुस्तकों का संपादन, ’हाइकु दर्पण’ (हाइकु पत्रिका)- का संपादन एवं प्रकाशन।|'अनन्य' (भारतीय कौंसलावास न्यूयार्क, अमेरिका से प्रकाशित) पत्रिका का संपादन।|अंग्रेज़ीनाम=Jagdish Vyom|जीवनी=[[जगदीश व्योम / परिचय]]|shorturl=vyom}}{{KKCatNavgeetkaar}}{{KKCatHaikukaar}}{{KKCatUttarPradesh}}__NOTOC__====कविता-संग्रह====* '''[[इन्द्र धनुष / जगदीश व्योम]]'''* '''[[भोर के स्वर / जगदीश व्योम]]'''* '''[[इतना भी आसान कहाँ है / जगदीश व्योम]]'''
माँ कबीर की साखी जैसी====नवगीत / कविताएँ==== तुलसी * [[अपने घर के लोग / जगदीश व्योम]]* [[जंग लड़ेंगे हम / जगदीश व्योम]]* [[जाने क्या बतियाते पेड़ / जगदीश व्योम]]* [[पानी को पानी कह पाना / जगदीश व्योम]]* [[गंगा बहुत उदास / जगदीश व्योम]]* [[किससे करें गिला / जगदीश व्योम]]* [[सो गई है मनुजता की चौपाई-सीसंवेदना / जगदीश व्योम]]* [[इतने आरोप न थोपो / जगदीश व्योम]]* [[माँ मीरा / जगदीश व्योम]]* [[अक्षर / जगदीश व्योम]]* [[रात की पदावली-सीमुट्ठी / जगदीश व्योम]]माँ * [[अहिंसा के बिरवे / जगदीश व्योम]]* [[बहते जल के साथ न बह / जगदीश व्योम]]* [[आहत युगबोध / जगदीश व्योम]]* [[सूरज का टुकड़ा / जगदीश व्योम]]* [[बाजीगर बन गई व्यवस्था / जगदीश व्योम]]* [[बादल कौन देश से आए! / जगदीश व्योम]]* [[नव वर्ष / जगदीश व्योम]]* [[बचपन / जगदीश व्योम]]* [[चिड़िया और बच्चे / जगदीश व्योम]]* [[गिलहरी / जगदीश व्योम]]* [[मेरा भी तो मन करता है ललित स्र्बाई-सी।/ जगदीश व्योम]]* [[सूरज इतना लाल हुआ / जगदीश व्योम]]* [[छंद / जगदीश व्योम]]* [[हे चिर अव्यय हे चिर नूतन / जगदीश व्योम]]* [[न जाने क्या होगा / जगदीश व्योम]]* [[पीपल की छाँव / जगदीश व्योम]]* [[ग्यारह दोहे / जगदीश व्योम]]* [[किसकी है तस्वीर / जगदीश व्योम]]* [[दादी कहती हैं / जगदीश व्योम]]* [[पिउ पिउ न पपिहरा बोल / जगदीश व्योम]]* [[हिरना क्यों उदास मन तेरा / जगदीश व्योम]]* [[हरसिंगार झरे / जगदीश व्योम]]
माँ वेदों की मूल चेतना====[[हाइकु]]====माँ गीता की वाणी-सी* [[हाइकु नवगीत / जगदीश व्योम]]माँ त्रिपिटिक के सिद्ध सुक्त-सी* [[बादल रोया (हाइकु) / जगदीश व्योम]]लोकोक्तर कल्याणी-सी।* [[हाइकु / जगदीश व्योम]]
माँ द्वारे की तुलसी जैसीमाँ बरगद की छाया====बाल-सीमाँ कविता की सहज वेदनामहाकाव्य की काया-सी।माँ अषाढ़ की पहली वर्षासावन की पुरवाई-सीमाँ बसन्त की सुरभि सरीखीबगिया की अमराई-सी। माँ यमुना की स्याम लहर-सीरेवा की गहराई-सीमाँ गंगा की निर्मल धारागोमुख की ऊँचाई-सी। माँ ममता का मानसरोवरहिमगिरि सा विश्वास हैमाँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सीकावा है कैलाश है। माँ धरती की हरी दूब-सीमाँ केशर की क्यारी हैपूरी सृष्टि निछावर जिस परमाँ की छवि ही न्यारी है। माँ धरती के धैर्य सरीखीमाँ ममता की खान हैमाँ की उपमा केवल हैमाँ सचमुच भगवान है।कविताएँ====****-डॉ० [[गौरैया / जगदीश व्योम]] सो गई है मनुजता की संवेदना  सो गई है मनुजता की संवेदनागीत के रूप में भैरवी गाइएगा न पाओ अगर जागरण के लिएकारवां छोड़कर अपने घर जाइए झूठ की चाशनी में पगी ज़िंदगीआजकल स्वाद में कुछ खटाने लगीसत्य सुनने की आदी नहीं है हवाकह दिया इसलिए लड़खड़ाने लगीसत्य ऐसा कहो, जो न हो निर्वसनउसको शब्दों का परिधान पहनाइए। काव्य की कुलवधू हाशिए पर खड़ीओढ़कर त्रासदी का मलिन आवरणचन्द सिक्कों में बिकती रही ज़िंदगीऔर नीलाम होते रहे आचरणलेखनी छुप के आंसू बहाती रहीउनको रखने को गंगाजली चाहिए। राजमहलों के कालीन की कोख मेंकितनी रंभाओं का है कुंआरा स्र्दनदेह की हाट में भूख की त्रासदीऔर भी कुछ है तो उम्र भर की घुटनइस घुटन को उपेक्षा बहुत मिल चुकीअब तो जीने का अधिकार दिलवाइए। भूख के प'श्न हल कर रहा जो उसेहै जरूरत नहीं कोई कुछ ज्ञान देकर्म से हो विमुख व्यक्ति गीता रटेऔर चाहे कि युग उसको सम्मान देऐसे भूले पथिक को पतित पंक सेखींच कर कर्म के पंथ पर लाइए। कोई भी तो नहीं दूध का है धुलाहै प्रदूषित समूचा ही पर्यावरणकोई नंगा खड़ा वक्त की हाट मेंकोई ओढ़े हुए झूठ का आवरणसभ्यता के नगर का है दस्तूर येइनमें ढल जाइए या चले आइए।  -डॉ॰ * [[होती बात निराली / जगदीश व्योम]]
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