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किसी ने मेरा उड़ता कबूतर मारा / नेहा नरुका
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17 मार्च
वह हत्यारा कोई और नहीं था, वह वही था, जिसके साथ हमने कबूतर उड़ाने के अरमान पाले थे
उस दिन भाभी ने
आखिरी
आख़िरी
अन्तरे में यह भी गाया था
किसी ने मेरी ननदी पर डोरे डाले
उस दिन मुझे ज़ोर की हँसी आई थी
अनिल जनविजय
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