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फुटकर शेर / कांतिमोहन 'सोज़'

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हमने एक बार वफ़ा की तो वफ़ा करते रहे
ये अगर जुर्म है यारो तो ख़तावार हैं हम।
 
दुनिया मुझे कर माफ़ मैं कुछ सोच रहा हूँ
बतलाऊँ तुझे साफ़ मैं कुछ सोच रहा हूँ ।
(02-10-2023)
 
क्या याद आ रहा है मुझे क्या भूल गया हूँ ।
वो कहते हैं मैं अहदे-वफ़ा भूल गया हूँ ।
दुनिया की चकाचौंध से बेज़ार बहुत हूँ,
मुमकिन है कि मैं शर्मो हया भूल गया हूँ ।
(05-09-2023)
 
है आज दिलजले की विदाई संभालके चल।
सुनता है कौन तेरी दुहाई
है आज दिलजले की विदाई संभालके चल।
सुनता है कौन तेरी दुहाई
(04-09-2023)
 
लौहे जहाँ पे हर्फ़े मुकर्रर हैं हम सही
अपना वजूद फिर भी मिटाया न जाएगा ।
(04-09-2023)
 
हमारी बात हमीं से छिपाई जाती है
क़दम - क़दम पे वफ़ा आज़माई जाती है ।
(02-09-2023)
 
रात काली हो गई है!
एक ही प्याली में कुछ था
वो भी ख़ाली हो गई है!
रात काली हो गई है!
(27-05-2023)
 
 
 
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