भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरो दु:खी मन / बैरागी काइँला" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= बैरागी काइँला |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:29, 6 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण
मेरो दु:खी मन सपना नखोज,
कि बिउँझेर बाँच्नु मुश्किल छ; मुश्किल ।
मेरो दु:खी मन सधैं हार रोज,
कि जितेर हार्नु मुश्किल छ, मुश्किल ॥
एउटा फूल डाक्छ सपनीभित्र,
बिपनीमा भेट्छु पत्थर रहेछ ।
तिम्रो स्वप्न-सभा आएछु हिजो,
आज माफी दिनु झुक्किएँ हिजो ॥
खोज्छ शून्य मलाई रातमा सधैँ,
आफैँलाई हराई खोज्दछु आफैँ ।
तिम्रो तारा जून रोजेँछु हिजो,
आज माफी दिनु झुक्किएँ हिजो ||