गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मैं पुकारता हूँ कि ग़ौर करो / गुन्नार एकिलोफ़
No change in size
,
20:58, 23 नवम्बर 2008
<Poem>
मैं पुकारता हूँ कि ग़ौर करो
पुकारता हूँ कि
आउ
आओ
क़ब्र से बाहर
कभी तुमने धोया-पोंछा था मुझे
बुहारकर मेरी ही यादें मेरे बारे में
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,359
edits