{{KKRachna
|रचनाकार=नागार्जुन
|अनुवादक=
|संग्रह=भूल जाओ पुराने सपने / नागार्जुन
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<poem>
आदरणीय,
अब तो आप
पूर्णतः मुक्त जन हो !
कम्प्लीट्ली लिबरेटेड...
जी हाँ, कोई ससुरा
आपकी झाँट नहीं
उखाड़ सकता, जी हाँ !!
जी हाँ, आपके लिए
कोई भी करणीय-कृत्य
शेष नहीं बचा है,
जी हाँ, आप तो अब
इतिहास-पुरुष हो
आदरणीयस्थित प्रज्ञ —निर्लिप्त,<br>निरंजन...अब तो आप <br>युगावतार !पूर्णतः मुक्त जन जो कुछ भी होना था सब हो चुके आप !<br>कम्प्लीट्ली लिबरेटेड...<br>जी हाँ कोई ससुरा <br>ओ मेरी माँ, ओ मेरे बाप !आपकी झाँट नहीं <br>कीर्ति- उखाड़ सकता, जी हाँ जल-थल-नभ में गई है व्याप !सब कुछ हो आप !<br>जी हाँप्रभु, आपके लिए <br>क्या नहीं हो आप !कोई भी करणीय-कृत्य <br>क्षमा करो आदरणीय,अकेले में, अक्सरमैंने आपकोदुर्वचन कहे हैं !शेष नहीं बचा कहे हैं क्या ?हाँ, हाँ, बारहा कहे हैंमैंने आपको दुर्वचन, जी भर के फटकारा है<br>,जी हाँ, आप तो अब<br> अक्सर फटकारा है,इतिहास-पुरुष क्षमा करो, प्रभु !महान हो <br>आप...<br>स्थित प्रज्ञ—<br>निर्लिप्तमहत्तर हो, निरंजन...<br>महत्तम होयुगावतार !<br>जो कुछ भी होना था <br>सब क्या नहीं हो चुके आप !<br>?ओ मेरी माँ, ओ मेरे बाप !<br>आपकी कीर्ति- क्या नहीं हो आप ?<br/poem>