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बँटा हुआ एक घर
मैंने कविता लिखनी चाही
एक घर पे:
एक ही छत के नीचे
बंटा हुआ एक घ रघरकितने ही कट-घ रों कटघरों में विभाजित,
सब में पृथक्-
पृथक् चूल्हा,