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"आलिंगन / नजवान दरविश / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

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परेशान और तरबतर मेरे हाथ  
 
परेशान और तरबतर मेरे हाथ  

03:59, 10 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण

परेशान और तरबतर मेरे हाथ
घायल हुए
पहाड़ों, घाटियों और मैदानों के आलिंगन की कोशिश में
और जिस समुद्र से मुझे प्यार था
वह मुझे बार-बार डुबाता रहा

प्रेमी की यह देह एक लाश बन चुकी है
पानी पर उतराती हुई
परेशान और तरबतर

मेरी लाश भी
अपनी बाँहों को फैलाए हुए
मरी जा रही है
उस समुद्र को गले लगाने के लिए
जिसने डुबाया है उसे ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल