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नभ में बिखेरता
मधुमय चन्द्रिका।
163तुझमें प्राणबसे है मेरे ऐसेजैसे वंशी में तान,कंठ में गानआँखों में आँसू छिपेऐसे तुम मन में।-0-'''(27-02-2023)'''164मन पुकारे-कोई आके छीन लेमेरा अकेलापन,आखिरी साँसेंबस इतना ही चाहें -लौटा दो मेरा गाँव!165खुला अम्बरबारिश में नहायावह धुला अम्बर,महल न दोबस उसे लौटा दोनदिया से मिला दो। '''18/4/2024'''</poem>