भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कंसतनतीन केदरफ़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (→कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (→कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ) |
||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
* [[छद्म सारस / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय]] | * [[छद्म सारस / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय]] | ||
* [[बीसवीं सदी / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय]] | * [[बीसवीं सदी / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय]] | ||
+ | * [[घोड़े के चारों ओर / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय]] | ||
+ | * [[ / कंसतनतीन केदरफ़ / अनिल जनविजय]] |
22:23, 18 अप्रैल 2025 का अवतरण
कंसतनतीन केदरफ़

जन्म | 12 नवम्बर 1942 |
---|---|
निधन | 16 अप्रैल 2025 |
उपनाम | Константин Александрович Кедров |
जन्म स्थान | रीबिंस्क, यारअस्लाव्ल प्रदेश,रूस |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
काव्यात्मक अन्तरिक्ष (१९८९), प्रेम का कम्प्यूटर (१९९०), इनकार की पुष्टि (१९९१), सत्यापित करें (१९९२), रूपकों का रूपक (१९९९), समानान्तर दुनिया (२००१), अन्दर से बाहर (२००१), सर्वनाश के परे (२००२), चुप्पी का निर्देशक (२००९) आदि तीस से ज़्यादा कविता-संग्रह | |
विविध | |
बीसवीं सदी के अन्तिम तीन दशकों और इक्कीसवीं सदी के प्रारम्भिक ढाई दशकों के एक प्रमुख रूसी दार्शनिक और प्रसिद्ध कवि, जिन्होंने ’मेटा-मेटाफ़ोर’ (रूपकों का रूपक) नामक एक नई दार्शनिक अवधारणा प्रस्तुत की, जिसके अनुसार -- मेटा-मेटाफोर वह रूपक है, जहाँ हर चीज़ अपने आप में एक ब्रह्माण्ड है। इससे पहले ऐसा कोई रूपक नहीं था। पहले, हर व्यक्ति इस तरह की तुलनाएँ करता था कि कवि सूर्य के समान है, या नदी के समान है, या ट्राम के समान है। मेरी अवधारणा में एक व्यक्ति ही वह सब कुछ है जिसके बारे में वह लिखता है। यहाँ पृथ्वी से अलग कोई वृक्ष नहीं है, आकाश से अलग कोई पृथ्वी नहीं है, अन्तरिक्ष से अलग कोई आकाश नहीं है, मनुष्य से अलग कोई अन्तरिक्ष नहीं है। यह ब्रह्माण्ड-मनुष्य की दार्शनिक अवधारणा है। | |
जीवन परिचय | |
कंसतनतीन केदरफ़ / परिचय |