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"पानी में एक फूल रखा / जयप्रकाश मानस" के अवतरणों में अंतर

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पत्थर पर बैठी है वह
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उसके हाथ में एक लाल फूल है।
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फूल को पानी में रखती है
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पानी हिलता-डुलता है थोड़ा-सा
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जैसे पानी को भी फूल अच्छा लगा हो।
  
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पानी में उसकी साड़ी दिखती है, लाल रंग की
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पानी में वह भी दिखती है
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जो पानी में नहीं है
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लेकिन पानी उसे देखता है।
  
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फूल पानी पर तैरता है
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लाल फूल - जैसे पानी का कोई छोटा-सा सपना
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वह देखती है फूल को
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फूल देखता है पानी को
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पानी देखता है जंगल को
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और जंगल देखता है
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वह जो कुछ नहीं देखता।
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उसके हाथ में और फूल हैं - लाल और सफेद
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वह सोचती है -
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इन फूलों को भी पानी में रख दूँ !
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पानी कहता है -
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हाँ, रख दो - मैं इन्हें तैरा लूँगा।
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पानी में लहरें बनती हैं छोटी-छोटी
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जैसे पानी हँस रहा हो।
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वह भी मुस्कुराती है
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जैसे फूल, पानी, और वह
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सब एक-दूसरे से बात कर रहे हों।
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फूल पानी में है
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पानी जंगल में है
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जंगल उसकी आँखों में है
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और उसकी आँखें
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पानी में।
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19:58, 8 जुलाई 2025 के समय का अवतरण


पानी के पास
पत्थर पर बैठी है वह
उसके हाथ में एक लाल फूल है।
फूल को पानी में रखती है
पानी हिलता-डुलता है थोड़ा-सा
जैसे पानी को भी फूल अच्छा लगा हो।

पानी में उसकी साड़ी दिखती है, लाल रंग की
पानी में वह भी दिखती है
जो पानी में नहीं है
लेकिन पानी उसे देखता है।

फूल पानी पर तैरता है
लाल फूल - जैसे पानी का कोई छोटा-सा सपना
वह देखती है फूल को
फूल देखता है पानी को
पानी देखता है जंगल को
और जंगल देखता है
वह जो कुछ नहीं देखता।

उसके हाथ में और फूल हैं - लाल और सफेद
वह सोचती है -
इन फूलों को भी पानी में रख दूँ !
पानी कहता है -
हाँ, रख दो - मैं इन्हें तैरा लूँगा।

पानी में लहरें बनती हैं छोटी-छोटी
जैसे पानी हँस रहा हो।
वह भी मुस्कुराती है
जैसे फूल, पानी, और वह
सब एक-दूसरे से बात कर रहे हों।

फूल पानी में है
पानी जंगल में है
जंगल उसकी आँखों में है
और उसकी आँखें
पानी में।
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