भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पुराना पेटीकोट / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैल चतुर्वेदी |संग्रह=चल गई / शैल चतुर्वेदी }}<poem> प...)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}<poem>
 
}}<poem>
 
पैसे बचाने की आदत
 
पैसे बचाने की आदत
अछ्छी है डियर
+
अच्छी है डियर
 
किंतु जब तुम
 
किंतु जब तुम
 
पुरानी साड़ी को फाड़कर
 
पुरानी साड़ी को फाड़कर
पंक्ति 25: पंक्ति 25:
 
अपनी नई योजना सुनाई
 
अपनी नई योजना सुनाई
 
तो क़सम से
 
तो क़सम से
उस रात नीन्द नहीं आई
+
उस रात नींद नहीं आई
तुम कर रही थी-"काकी,
+
तुम कह रही थी-"काकी,
 
गेहूँ तीन रुपये का
 
गेहूँ तीन रुपये का
 
एक किलो बिकता है
 
एक किलो बिकता है
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
 
आस्तीन और गले पर ड़ाल दूँ
 
आस्तीन और गले पर ड़ाल दूँ
  
सड़ी में से एक क्या दो कुर्ते निकल आएँगे
+
साड़ी में से एक क्या दो कुर्ते निकल आएँगे
 
साड़ी चल चुकी है दस साल
 
साड़ी चल चुकी है दस साल
 
कुर्ते भी कुछ साल चल जएँगे।"
 
कुर्ते भी कुछ साल चल जएँगे।"
पंक्ति 48: पंक्ति 48:
 
इसकी चाह नहीं
 
इसकी चाह नहीं
 
क्या बचत करने की
 
क्या बचत करने की
कोइ और राह नहीं?
+
कोई और राह नहीं?
 
हे, सुनो!
 
हे, सुनो!
 
पुराना पेटिकोट
 
पुराना पेटिकोट
पंक्ति 59: पंक्ति 59:
 
और फैशन निकल आयेगा
 
और फैशन निकल आयेगा
 
एक नये जामे का।
 
एक नये जामे का।
 +
</poem>

03:42, 29 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

पैसे बचाने की आदत
अच्छी है डियर
किंतु जब तुम
पुरानी साड़ी को फाड़कर
सीती हो मेरा अन्डरवियर
तो तुम्हारा आएडिया
बहुत बुरा लगता है
फिर भी पहन लेता हूँ
घिसी साड़ी कि वे चड्डियाँ
जो दो चार बार उठने बैठने पर ही
बोल जाती है
तिस तुम कहती हो-
"बच्चे नहीं हो
घर चलाना सीखो
भविष्य के लिये बचाना सीखो।"

अन्डरवियर तक तो बचत ठीक है
किंतु उस दिन
पड़ोसन काकी को तुमने
अपनी नई योजना सुनाई
तो क़सम से
उस रात नींद नहीं आई
तुम कह रही थी-"काकी,
गेहूँ तीन रुपये का
एक किलो बिकता है
और चावल!
स्वप्न में भी कहाँ दिखता है
सोचती हूँ
इनका एक कुर्ता
रेशमी साड़ी से निकाल दूं
किनारी वाला हिस्सा
आस्तीन और गले पर ड़ाल दूँ

साड़ी में से एक क्या दो कुर्ते निकल आएँगे
साड़ी चल चुकी है दस साल
कुर्ते भी कुछ साल चल जएँगे।"
तो हे कपड़ो की एंजीनियर
अपनी प्यारी साड़ी को
मत करना टियर
सच कहता हूँ
तुम्हारी कला के प्रदर्शन का माध्यम
मैं बनूँ
इसकी चाह नहीं
क्या बचत करने की
कोई और राह नहीं?
हे, सुनो!
पुराना पेटिकोट
जो तुम कमर मे बान्धती हो
मैं गले में बाँध लूंगा
सारा तन
उसी से ढाँक लूंगा
ख़र्च बच जायेगा
कुर्ते और पजामे का
और फैशन निकल आयेगा
एक नये जामे का।