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|संग्रह=अधूरी चीज़ें तमाम / प्रयाग शुक्ल
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उगी है कोंकाबेली
फूली
पानी में--
फूलती थी जैसे बचपन में ।
पौधे ये और
फूल ये और
सुबह ये और
पर फूली है
कोंकाबेली
फूलती थी जैसे
मेरे बचपन के
इस
गाँव में !
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