भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँ / कुँअर बेचैन

3 bytes added, 10:06, 3 जनवरी 2009
माँ!
तुम्हारे सजल सज़ल आँचल ने
धूप से हमको बचाया है।
41
edits