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पेंटिंग-2 / गुलज़ार

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[[category: नज़्म]]
 
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’जोरहट’ में एक दफ़ा
 
दूर उफ़क के हलके-हलके कुहरे में
 
’हमीन बरुआ’ के चाय बाग़ान के पीछे
 
चांद कुछ ऎसे दिखा था
 
जैसे चीनी की चमकीली कैटल रखी हो!
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