सादर
अनिल जनविजय
भाई अनिल जन विजय जी
नमस्कार ।
आपने जो भाषा का प्रश्न उठाया था ,उससे मुझे खुशी ही हुई थी; क्योंकि मैं लगभग 40 वर्ष से शिक्षण के इसी पेशे से जुड़ा हुआ हूँ । आप व्यस्तता के कारण उत्तर नहीं दे पा रहे थे, इसे बखूबी समझता हूँ ।मैं ठहरा इस समय मुक्त व्यक्ति ;इसीलिए समय निकाल सका ।सेवा में रहते हुए मैं इसी व्यस्तता के कारण बहुत से साथियों से बहुत दूर हो गया था ।अब जुड़ने का प्रयास कर रहा हूँ ।
मैं रचना के साथ नाम जोड़ने की बात नहीं कहना चाह रहा हूँ ।वह कैसे हो सकता है कि लोकगीतों के साथ मेरा नाम जुड़े जो मेरे हैं ही नही ।मेरा तात्पर्य उस तकनीकी पक्ष से है ,जिसमें बदलाव दिखाया जाता है ।किसी ने उसमें एक मात्रा जोड़ी या हटाई( शुद्ध करने के लिए ,न कि किसी दुर्भावना से) उसका नाम उसमें जुड़ जाता है ।क्या मूल रूप से टाइप करके अपनी रचना जोड़ने वाले का योगदान उसमें बाद में भी दर्शाया जाता रहता या नहीं? यदि किसी ने अन्य साहित्यकार की रचना जोड़ी हैं तो क्या बदलाव या किसी अन्य कॉलम (किसी फ़ाइल या पृष्ठ पर )के अन्तर्गत यह योगदान दर्शाया जाता रहता है ? आपने मेहनत करके बहुत सारे मित्रों की रचनाएँ कोश में जोड़ी हैं। उन लेखकों का नाम वहाँ पर बरकरार है । आपने मुझे या भावना जी को कोई दु:ख नहीं पहुँचाया।अत: क्षमा की कोई बात ही नहीं । खाँसने और छीकने पर भी दु:खी होने की मेरी आदत नहीं भाई ।आपसे केवल तकनीकी पहलू की जानकारी लेने का ही आशय था ।पूर्व में भी विकीपीडिया की कमियों के बारे में आपसे बात हुई है। विकीपीडिया वाले मुखपृष्ठ तक के वर्तनी-दोष भी ठीक नहीं कर पाए।इस तरह के संशोधन भाई ललित कुमार जी को भी भेजे थे ।
संवाद रहना चाहिए ।जब समय मिले ,तभी सही ।
सादर
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
ललित जी आपने जो फार्मेट मुझे प्रारम्भ में भेजा था मैं आज़ तक उसी तरह लिख रही हूँ जैसे कि पंक्तियों के बीच में गैप देना और नीचे नाम लिखना ये सब आपने ही मुझे सिखाया है ये कब बदल गया मुझे नहीं पता मैं तो बस कुँअर जी की रचना डालती हूँ और बस कविता कोष बंद कर देती हूँ, हाँ अगली बार जब कविता डालती हूँ तो उसमें बदलाव देखकर ही ये सवाल उठे हैं, जो आपने पढ़े, यहाँ सब काम करते हैं, किसी का भी उद्देश्य किसी को ठेस पहुँचाना नहीं होता, हाँ जानकारी हासिल करना तो होता ही है और होना भी चाहिये, जिसको लगता है आप सब लोगों ने शायद गलत लिया है और हाँ एक बात और मुझे "नाम" लिखने का कोई शौंक नहीं है जैसा अब तक लिखा देखा या जो आपने मुझे शुरू में भेजा वही मैंने लिखा, मुझे काम से मतलब है जो बन पड़ता है वो कर लेते हैं बस बार२ बदला हुआ देखकर समझना चाहा कि जो रचना मैं डालती हूँ उसमें क्या बदलाव होता है अब समझ आ ही गया है कि नाम और गैप को बदला जाता है बस बात साफ हो गई ।
अनिल जी अब आपको भी मालूम हो गया होगा की मैं रचना के नीचे नाम क्यों लिखती थी।
धन्यवाद
भावना