भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मिटने का अधिकार / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
वे मुस्काते फूल नहीं<br> | वे मुस्काते फूल नहीं<br> | ||
जिनको आता है मुर्झाना,<br> | जिनको आता है मुर्झाना,<br> | ||
− | वे | + | वे तारों के दीप नहीं <br> |
जिनको भाता है बुझ जाना <br><br> | जिनको भाता है बुझ जाना <br><br> | ||
− | वे | + | वे सूने से नयन,नहीं <br> |
जिनमें बनते आंसू मोती, <br> | जिनमें बनते आंसू मोती, <br> | ||
वह प्राणों की सेज,नही <br> | वह प्राणों की सेज,नही <br> | ||
− | जिसमें बेसुध | + | जिसमें बेसुध पीड़ा, सोती <br><br> |
− | वे नीलम के मेघ | + | वे नीलम के मेघ नहीं <br> |
जिनको है घुल जाने की चाह <br> | जिनको है घुल जाने की चाह <br> | ||
− | वह अनन्त रितुराज, | + | वह अनन्त रितुराज,नहीं <br> |
− | + | जिसने देखी जाने की राह <br> | |
ऎसा तेरा लोक, वेदना <br> | ऎसा तेरा लोक, वेदना <br> | ||
− | + | नहीं,नहीं जिसमें अवसाद, <br> | |
जलना जाना नहीं नहीं <br> | जलना जाना नहीं नहीं <br> | ||
− | जिसने जाना | + | जिसने जाना मिटने का स्वाद<br> |
क्या अमरों का लोक मिलेगा <br> | क्या अमरों का लोक मिलेगा <br> |
01:14, 7 सितम्बर 2006 का अवतरण
लेखिका: महादेवी वर्मा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
वे मुस्काते फूल नहीं
जिनको आता है मुर्झाना,
वे तारों के दीप नहीं
जिनको भाता है बुझ जाना
वे सूने से नयन,नहीं
जिनमें बनते आंसू मोती,
वह प्राणों की सेज,नही
जिसमें बेसुध पीड़ा, सोती
वे नीलम के मेघ नहीं
जिनको है घुल जाने की चाह
वह अनन्त रितुराज,नहीं
जिसने देखी जाने की राह
ऎसा तेरा लोक, वेदना
नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं नहीं
जिसने जाना मिटने का स्वाद
क्या अमरों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार
रहने दो हे देव अरे
यह मेरे मिटने क अधिकार